Chhaya Pyar ka - 1 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | छाया का प्यार - 1

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छाया का प्यार - 1


🌙 छाया का प्यार 




 पहाड़ों की खामोशी में छिपी हलचल


अनन्या हमेशा से शहर की भागदौड़ से दूर रहना चाहती थी। उसे पहाड़ों की शांति, हवा की ठंडक और प्रकृति का संगीत पसंद था। जब दादाजी की पुरानी हवेली उसे विरासत में मिली, तो गांव वालों ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की।


“बिटिया, वहां मत जाओ। रात को अजीब आवाज़ें आती हैं… छायाएं नाचती हैं…”

लेकिन अनन्या ने हंसते हुए टाल दिया –

“काका, हवेली है, कोई भूत बंगला थोड़े है!”


लेकिन उसे क्या पता था… हवेली सिर्फ हवेली नहीं थी।

उसकी दीवारों में किसी का अधूरा प्यार,

किसी का दर्द,

और किसी की अटकी हुई आत्मा बसती थी।



---


पहली रात — वह एहसास जिसने दिल की धड़कनें बढ़ा दीं


हवेली बहुत बड़ी थी। पुराने लकड़ी के फर्श, मोटे परदे, दादी द्वारा सजाई गई दीवारें… सबमें एक अजीब-सी नमी थी। लेकिन रात के 11 बजते ही, अचानक उसे किसी नजर की चुभन महसूस हुई।


वह ड्राइंग रूम में बैठी थी, पर लगा जैसे कोई कोने में खड़ा उसे देख रहा है।


“कौन है वहाँ?”

उसकी आवाज़ हल्की कांपी।

कोई जवाब नहीं।


वह गहरी सांस लेकर बगीचे में टहलने चली गई।


चांदनी रात थी। हवा में हल्की ठंड थी। फूलों पर शबनम की बूंदें चमक रही थीं। तभी झाड़ियों से हलचल हुई।


अनन्या एकदम चौंक गई।


"कौन है?!"

उसने सख्त आवाज़ में पुकारा।


और तभी—


झाड़ी से एक लंबा, हैंडसम लड़का बाहर आया।

उसकी आंखें गहरी काली… जैसे किसी गहरे रहस्य की झील।


“माफ करना, मैंने डरा दिया?”

उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।


उसकी आवाज़… जैसे किसी ने दिल पर धुन बजा दी हो।

अनन्या कुछ सेकंड उसे देखती ही रह गई।


“मैं… मैं अनन्या।”

“मुझे पता है,” वह बोला।

“पूरा गांव जानता है कि तुम यहाँ रहने आई हो।”


उसका नाम आरव था।


और उस रात… वह दोनों घंटों बातें करते रहे।

जिस तरह वह हवेली की पुरानी प्रेम कहानियां सुनाता…

जिस तरह उसकी आंखें रात की उदासी छुपातीं…

अनन्या को वह अजीब लेकिन खूबसूरत लगा।



---


दूसरी रात — प्यार की पहली ठंडक


अगली शाम अनन्या बगीचे में गयी ही थी कि आरव वहीं खड़ा मिला।

इस बार उसके हाथ में सफेद फूल थे।


“ये तुम्हारे लिए,” उसने कहा।

और हल्के से उसका हाथ पकड़ लिया।


उसके स्पर्श में हल्की ठंडक थी।

लेकिन एक अजीब-सी गर्माहट भी थी, जो दिल तक उतरती चली गई।


वे रातभर बैठकर सितारों की बातें करते रहे।

बार-बार अनन्या की नजर उसकी आंखों से हट ही नहीं रही थी।


“तुम्हारी आंखों में उदासी है… क्यों?”

अनन्या ने हिम्मत कर पूछा।


वह मुस्कुराया—एक उदास मुस्कान।

“कुछ बातें वक्त आने पर समझ आती हैं।”


उस रात… अनन्या को लगा कि वह किसी गहरी खाई में गिर रही है।

लेकिन उस खाई में दर्द नहीं, मोहब्बत थी।



---


हर रात… और गहराते एहसास


दिन में हवेली शांत रहती।

लेकिन रात होते ही… हवा में एक अलग-सी मिठास भर जाती।

और ठीक 11 बजे—

आरव आ जाता।


कभी फूल लेकर,

कभी पुरानी कहानियां लेकर,

कभी सिर्फ मुस्कुराहट लेकर।


एक रात उसने अनन्या का चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला—

“पता नहीं क्यों, लेकिन तुमसे दूर नहीं रह पाता।”


अनन्या का दिल धक से रुक गया।

वह धीरे से बोली,

“मेरे साथ रहते हो तो डर नहीं लगता…”


आरव ने उसकी आंखों में देखा—

“शायद मेरी जिंदगी में किसी ने इतनी खूबसूरती से ये बात नहीं कही।”


धीरे-धीरे अनन्या का दिल…

पूरी तरह आरव का हो गया।



---


तूफानी रात — अधूरी चाहत का पहला सच


उस रात बारिश हो रही थी।

हवेली के गलियारों में हवा गूंज रही थी।

अनन्या ने दरवाजा खोला—आरव भीग चुका था।


“अंदर आ जाओ!”


वह हॉल में आया, और ठंडी हथेलियों से अनन्या का चेहरा छू लिया।


“तुम्हारे बिना जिंदगी अधूरी है,”

वह फुसफुसाया।


अनन्या उसके करीब आई।

दिल की धड़कनें तेज हो गईं।

उनके होंठ मिलने ही वाले थे—


कि अचानक आरव पीछे हट गया।


“सुबह हो रही है… मुझे जाना होगा।”


वह मुड़ा…

सीधे दीवार की ओर गया…

और—


दीवार के अंदर समा गया।


अनन्या की चीख उसके होंठों से निकलते-निकलते रह गई।



---


सच की तलाश — कौन है आरव?


अगली रात जब आरव आया, अनन्या सतर्क थी।

उसने सामान्य बातें कीं, लेकिन मन में एक ही सवाल—


आरव इंसान है या कुछ और?


जब आरव जाने लगा,

अनन्या चुपके से उसके पीछे गई।


वह एक पुरानी दीवार के पास रुका…

हाथ लगाया…

और गायब।


अनन्या ने भी दीवार को धक्का दिया।

अंदर एक पुराना कमरा था—

सालों से बंद।


दीवार पर पुरानी तस्वीरें थीं।

एक तस्वीर में—

आरव जैसा लड़का

पर 50 साल पुराना।


नीचे एक नाम लिखा था—

आरव मल्होत्रा – 1975


उसके पास एक डायरी पड़ी थी।


अनन्या ने पढ़ना शुरू किया—

और उसका दिल कांप उठा।



---


डायरी का सच — भटकती आत्मा का दर्द


डायरी में लिखा था—


आरव 1975 में इसी हवेली में रहता था।

वह अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था।

लेकिन लड़की ने उसे धोखा दिया।

ग्रामीणों ने बदनाम कर उसे मार डाला।

वह यहीं दफनाया गया।

उस दिन से उसकी आत्मा भटक रही है।

हर साल जब कोई लड़की हवेली में रहती है,

उससे मोहब्बत कर बैठता है…

अपना अधूरा प्यार पूरा करने के लिए।


अनन्या के हाथ कांप गए।


“क्या मैं भी… उसकी नई मोहब्बत हूँ?”

उसने खुद से पूछा।



---


अंधेरा — प्यार का जुनून और डर का चेहरा


कमरे का दरवाजा अचानक बंद हो गया।


ठंड बढ़ती जा रही थी।

दीवारें कांप रही थीं।


और तभी…


आरव प्रकट हुआ।


लेकिन वह पहले जैसा नहीं था।

उसका चेहरा विकृत, आंखें लाल…

एक भयानक लेकिन दर्द से भरी आत्मा।


“अनन्या… तुम मेरी हो।

अब कोई तुम्हें मुझसे नहीं छीन सकता।”


“तुम भूत हो!”

अनन्या चीखी।


आरव हंसा—

“प्यार भूत को भी इंसान बना सकता है…

लेकिन तुम अगर भागोगी तो

मेरी आत्मा कभी शांत नहीं होगी।”


वह धीरे-धीरे उसके करीब आने लगा।



---


मुक्ति — आग की रोशनी और आखिरी विदाई


अनन्या को डायरी का आखिरी पन्ना याद आया—


आरव को मुक्त करने का एक ही तरीका है—

उसकी प्रेमिका की चिट्ठी जलाना।


वह कमरे में खोजने लगी।

अलमारी में पुरानी चिट्ठी मिली—

पीली पड़ी, पर intact।


“अनन्या!!! मत जलाना!”

आरव गुस्से में दहाड़ा।


दीवारें हिलने लगीं।

हवा तेज हो गई।


लेकिन अनन्या ने लाइटर जलाया—

और बोली,

“आरव… मैं तुम्हें आज़ाद कर रही हूँ।”


चिट्ठी आग में जलने लगी।


पूरा कमरा चमक उठा।

रोशनी के बीच आरव का चेहरा फिर खूबसूरत, शांत, इंसानी हो गया।


उसने मुस्कुराते हुए कहा—


“धन्यवाद, अनन्या…

तुमने मेरा अधूरा प्यार पूरा नहीं किया…

लेकिन मेरी आत्मा को शांति दे दी।

मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।”


और वह…

धीरे-धीरे हवा में घुलकर

गायब हो गया।



---


अंत — हवेली की खामोशी में नई शुरुआत


सुबह हुई।

हवेली शांत थी।

डर नहीं… सिर्फ सुकून।


गांव वाले हैरान थे कि हवेली

बदल चुकी है।

अब कोई अजीब आवाज़ नहीं आती थी।

कोई छाया नहीं नाचती थी।


लेकिन अनन्या को लगता था—

कि जब हवा उसके बालों को छूती है,

तो जैसे कोई फुसफुसाकर कहता है—

"मैं यहीं हूँ…"


अनन्या ने फैसला किया—

वह इस अद्भुत, दर्दभरी, खूबसूरत कहानी को लिखेगी।


और उसका नाम रखेगी। 

छाया का प्यार”



"क्या आप लोग इस कहानी का Part-2 पढ़ना चाहेंगे?

क्या अनन्या की ज़िंदगी में अब भी आरव की छाया मौजूद है?

COMMENT में बताइए — ‘हाँ’ या ‘नहीं’ ❤️"


या फिर


"अगर इस कहानी ने आपका दिल धड़काया हो…

तो COMMENT में बताएं —

आपको लगता है ‘छाया का प्यार’ सच हो सकता है?"


या


"क्या मैं इसका अगला भाग लिखूँ?

Part-2 चाहिए तो COMMENT में लिखें — CHAYA 👻❤️"